Monday, June 4, 2012

KALA DHAN AUR BHRASHTACHAR

बाबा रामदेव और अन्ना हजारे द्वारा चलाये जा रहे अभियान की अनदेखी करके हमारी सरकार इस मुगालते में है कि  जनता की याददाश्त कमजोर होती है और कुछ दिनों में सब भूल जाएगी .  सर्कार को  याद रखना चाहिए कि आज से 37 साल पहले लोकनायक जय प्रकाश नारायण ने जो सवाल उठाये थे फिर से ताज़ा हो गए हैं . भ्रष्ट लोगों के नाम उजागर करना, ऐसे लोगों को लोकसभा और विधान सभा से वापस बुलाना, व्यवस्था में आमूल चूल  परिवर्तन करना यही तो था संपूर्ण क्रांति का नारा. आज की सरकार  कहती है कि विदेशों में जमा  काले धन का पता चल रहा है और वह वापस भी आ   रहा है . आश्चर्य की बात यह है कि  सरकर को यह नहीं पता है कि  कितना काला धन बाहर जमा है, वह किसका है और कितन धन अब तक आ चुका है . माननीय उच्च  न्यायालय  के आदेशों के बाद भी सरकार ने नाम नहीं बताये हैं . कला धन वापस आने का एक रास्ता एफ. डी . आई हो सकता है और शायद इसी लिए बाबा रामदेव ने इसे काले धन की चाभी कहा है . इसका मतलब है कि विदेशी पूंजी निवेश करने वाले वाही लोग हो सकते हैं जिन्होंनी बाहर कला धन  जमा किया है . सरकार न तो कला धन जमा करने वालों के नाम बताएगी और न विदेशी पूंजी निवेश करने वालों के . हमारे गाँव में कहावत है 'यह जांघ खोलो तो लाज और वह जांघ खोलो तो लाज '.

1 comment:

  1. यह जांघ खोलो तो लाज और वह जांघ खोलो तो लाज : सर, क्या इस मुहावरे का अर्थ होता है शर्म सार कृत्या ? किस्सी घिनौनो कर्म को छिप्पाने की कोशिश / ? मगर, अब यह पैसा कैसे भी अगर भारतीय अर्थव्यवस्था में बिना पेनाल्टी के पहुँचता है तोह यह खतरा पैदा कर सकता है/ पहले तोह यह नहीं पता होगा की कहीं उस पैसा का मालिक ही कहीं कोई मंत्री न बना बिता हो. अभी तोह यह मंत्री लोग सरकारी संपत्ति पर हमार ऊपर हुकम चला रहे हैं. कल को यही चुपके से व्यापारी बन कर देश की संपत्ति को खरीदना भी शुरू का देंगे, और फिर हम सरकारी और गैर- सरकारी , दोनों ही दिशा से इनके ग़ुलाम हो जायेंगे.

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